स्वभाव, प्रकृति या नेचर इन्हे हम अलग नाम से जानते और पहचानते है। आज हम इसी के बारे में बात करेंगे
स्वभाव की विशेषता क्या है स्वभाव है क्या, उसका हमारे जीवन में क्या महत्व है। इसे साधारण से शब्दों में समझने का प्रयास करते है। किसी भी वस्तु व्यक्ति या पदार्थ को जो मौलिक विशेषता या यूं कहे की खासियत होती है वही उसका स्वभाव है ।
जैसे अग्नि का स्वभाव है जलाना और पानी का स्वभाव है ठंडक प्रदान करना और इनकी इसी विशेषता या स्वभाव के चलते हम इस से दूरी या सामंजस्य बनाकर रखते है।
कोई भी व्यक्ति वस्तु या पदार्थ जीवन पर्यंत अपने स्वभाव के अधीन रह कर ही कार्य करता है ।स्वभाव किसी भी व्यक्ति के भविष्य को बनाने या बिगाड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । व्यक्ति का स्वभाव उसे समाज में प्रतिष्ठा दिलाने या प्रतिष्ठा खतम करने में पूर्णतया सक्षम होता है ।
यदि आपका व्यवहार अच्छा है तो सभी आपको पसंद करेंगे आपका सम्मान होगा और इसके विपरित अगर आपका स्वभाव बुरा है तो सभी आपको नापसंद करेंगे और बार बार अपमानित होना पड़ेगा।
स्वभाव ही वो गुण या अवगुण है जो आपको किसी के नजदीक ला सकता है या किसी से दूर कर सकता है । स्वभाव से ही आपके मित्र और शत्रु दोनो बन सकते है ।
तो अपने स्वभाव को समझ कर , समय समय पर परिस्थितियों के हिसाब से स्वभाव में गुणात्मक सुधार नितांत आवश्यक है । इसके बारे में किसी महापुरुष ने बहुत अच्छा वृतांत कहा है कि एक दुखी व्यक्ति जो की सांसारिक परेशानियों से तंग आकर एक साधु की शरण के गया और बोला कि बाबा जी आप अपना चोला मुझे दे दीजिए मुझे सन्यास लेना है साधु बनना है। तो महात्मा जी बोले कि कोई बात नही आप मेरा चोला भी ले लेना और सन्यास भी लेकिन उस से पहले मेरे एक सवाल का जवाब देदो। महात्मा जी ने प्रश्न किया कि क्या कोई स्त्री पुरुष के वस्त्र पहने से पुरुष और कोई पुरुष स्त्री के वस्त्र पहनने से स्त्री बन जाता है। तो वो व्यक्ति ने जवाब दिया कि बिलकुल नहीं। तो महात्मा जी ने कहा कि फिर ये बताओ तुम मेरा सिर्फ चोला पहन कर साधु कैसे बन जाओगे।
व्यक्तित्व बदलने के लिए स्वभाव बदलने की नितांत आवश्यकता है । अगर हमारा स्वभाव अच्छा है तो उसे और अच्छा करने की जरूरत है और अगर बुरा है तो उसे सुधारने की जरूरत है। क्योंकि स्वभाव ही ऐसी विषय वस्तु या खासियत है जो हमे हर जगह प्रस्तुत करती है। अच्छे स्वभाव से समाज में सम्मान मिलता है और सिर्फ समाज ही नही अपितु परिवार में भी सम्मान का मापदंड यही है।
इसलिए हमे अपने स्वभाव को समय समय पर परिस्थितियों के अनुसार ढालना बहुत जरूरी है और नितांत आवशयक है । इसलिए अपने स्वभाव को समझिए , उसे बदलिए और समाज में अपना एक स्तर निर्धारित कीजिए ।
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