दोस्तों

आज के जमाने में सेवा और संस्कार इन दोनों ही शब्दों का महत्व बहुत ही बढ़ गया है। क्यूंकि जिस भाव की कमी होती है उसका महत्व व जरूरत दोनों ही बढ़ जाती है।
आज हम इसी के बारे में बात करेंगे ।

आज के युग में हम सभी ने चाहे वो बच्चे हो या बड़े, स्त्री हो या पुरुष, सब ने अपने इर्द गिर्द अपनी एक अलग ही आभासी दुनिया बना ली है और उसी में लीन रहने लगे है।

इस भौतिकतावादी युग में सेवा और संस्कार जैसे मूल्य गौन होते जा रहे है। सिर्फ क्रोध , अहंकार, लोभ का ही वर्चस्व दिखाई देता है।

बच्चे टीवी और मोबाइल में खोए हुए है और बड़े सोशल मीडिया की चपेट में है । इसके चलते सेवा और संस्कार जैसे मूल्य ना तो बच्चों को सिखाए जा रहे है और ना ही बड़ों में देखने को मिल रहे है।

जबकि दोनों ही विषय समाज के स्वास्थ्य के लिए बहुत ही आवश्यक है।

तो दोस्तों आप सब से निवेदन है कि अपने और अपने आसपास के लोगों को जागृत करे और इस आभासी दुनिया से उन्हें बाहर निकालने का प्रयास करे ।

धन्यवाद ।

दीपक खत्री ‘ रौनक ‘

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